कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती-पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है?

लेखक के कई साथी अलग-अलग राज्य से थे। उनके अधिकतर साथी हरियाणा या राजस्थान से आकर मंडी में व्यापार के लिए आए परिवारों में से थे। इसलिए सब अलग-अलग भाषा बोलते थे। जब लेखक छोटे थे तो उनकी बोली बहुत कम समझ पाते थे। यहां तक कि उन लोगों के कुछ शब्द सुनकर लेखक को हंसी भी आ जाती लेकिन खेलते समय सब एक-दूसरे की भाषा समझ लेते थे। उनके व्यवहार में कोई अंतर ना था। लेखक के अनुसार, बच्चे जब मिलकर खेलते हैं तो उनका व्यवहार और भाषा अलग होते हुए भी एक ही जैसा लगता है। ज्यादातर खेलते समय सभी का व्यवहार एक सा हो जाता है। इसलिए भाषा अलग होने से भी मेल-मिलाप में कोई बाधा नहीं आती।


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