प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट विधा है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ कहाँ झलकती हैं? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।

लेखक ने अपने भावों और विचारों को कलात्मक शैली में प्रस्तुत किया है। उनकी इस विशेषता को निम्नलिखित स्थानों पर देखा जा सकता है-

1- आश्रम के काफी लोग बाहर चले गए, एक दिन हमने सपरिवार उनके 'दर्शन' की ठानी।


2- प्रतिदिन प्रात:काल यह भक्त कुत्ता स्तब्ध होकर आसन के पास तब तक बैठा रहता है, जब तक मैं अपने हाथों के स्पर्श से इसका संग स्वीकार नहीं करता। इतनी सी स्वीकृति पाकर ही उसके रोम-रोम में आनंद का प्रवाह बहने लगता है।


3- उस समय लंगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव ने कहा, 'देखते हो यह यूथभ्रष्ट है। रोज फुदकती है, ठीक यहीं आकर मुझे इसकी चाल में करुण भाव दिखाई पड़ता है।'


4- उस समय भी न जाने किस सहज बोध के बल पर वह कुत्ता आश्रम के द्वार तक आ गया और चिताभस्म के संग गंभीर भाव से उत्तरायण तक गया।


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