भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
(ख) आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
(क) यहाँ ज्ञान की आँधी या सरल भाषा में कहें तो मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति के पश्चात मनुष्य के स्वार्थ रुपी दोनों खंभे टूट गए हैं तथा सांसारिक मोह रुपी बल्ली टूट गयी है| इस ज्ञान रुपी आंधी के फलस्वरूप कामना रुपी छप्पर टूट गया है और उसके मन में व्याप्त सभी बुराइयाँ नष्ट हो गयी हैं| इस प्रक्रिया में उसका मन बिलकुल साफ़ हो गया है|
(ख) ज्ञान की आंधी के पश्चात मानव का मन साफ एवं सांसारिकता से मुक्त हो जाता है और प्रभु की भक्ति में रमने लगता है| प्रभु-भक्ति रुपी ज्ञान की बर्षा के कारण मन प्रेम रुपी जल से भीग जाता है और मनुष्य का मन आनंदित हो उठता है| कहने का अभिप्राय है कि ज्ञान की प्राप्ति के पश्चात मनुष्य का मन आनंदित हो उठता है|