निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-
1. हीरे के प्रेमी उस किस रूप में पसंद करते हैं?
2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए-
धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए-
लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?
लेखक ने धूल और मिट्टी मे क्या अंतर बताया है?
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
‘हीरा वही घन चोट न टूटे’- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
‘धूल’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।
‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की‘-लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में।
हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।
वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छाँटिए-
उदाहरण-विज्ञापित- वि(उपसर्ग) ज्ञापित
संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्दव्न्द, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन
लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे प्रयोग किए हैं।
धूल से संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।